यदि आप Harit Kranti Ke Janak Kaun Hai (Father of Green Revolution in Hindi) यानी हरित क्रांति के पिता किसे कहा जाता है के बारे में जानना चाहते हैं तो इस लेख को पूरा जरूर पढ़े.
भारत में दो – तिहाई आबादी कृषि (Agriculture) पर निर्भर करती है. इसलिए कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि कृषि का हालत में सुधार के बिना देश की हालत में सुधार नहीं हो सकता.
हरित क्रांति ने हमारे देश की कृषि में आमूलचूल परिवर्तन किए, जिससे देश के उत्पादन में कई गुना की वृद्धि हुई. हरित क्रांति के बाद ही भारत अनाज के मामले में आत्मनिर्भर बन पाया.
ऐसे बहुत से हरित क्रांति के लाभ और हानि है जिसे आपकों जरूर जानना चाहिए. साथ ही भारत में हुई हरित क्रांति से संबंधित बातों पर भी चर्चा करना आवश्यक है.
आइए अब हरित क्रांति के पिता/जनक कौन है (harit kranti ke janak kaun hai) और उनसे संबंधित बातों के बारे में जानते हैं.
Harit Kranti Ke Janak Kaun Hai?
नाॅर्मन अर्नेस्ट बोरलाॅग को हरित क्रांति के जनक कहा जाता है. वे एक अमेरिकी कृषिविज्ञानी और नोबल पुरस्कार विजेता थे.
नाॅर्मन बोरलाॅग उन व्यक्तियों में मशहूर है, जिन्हें नोबेल शांति पुरस्कार, स्वतंत्रता का राष्ट्रपति पदक और कांग्रेस के गोल्ड मेडल प्रदान किया गया था.
उनका जन्म अमेरिका में आयोवा के एक सामान्य परिवार में हुआ था. उन्होंने कृषि विज्ञान में आधुनिक तकनीकें ईजाद की और दुनियाभर में सभी को मुफ़्त में साझा कीं.
उनके आधुनिक तकनीक की मदद से गेहूं की उत्पादकता में 700 गुना तक बढ़ोत्तरी हुई. साथ ही गेहूं और धान की किस्मों ने दुनियाभर में करीब एक अरब आबादी को भुखमरी से बचाया.
नाॅर्मन बोरलाॅग ने हरित क्रांति के पीछे की प्रेरणा थे. उन्होंने कृषि के क्षेत्र में अपना अतुलनीय भूमिका अदा किया, और इसलिए उन्हें ‘हरित क्रांति के जनक’ कहा जाता है.
विश्व में हरित क्रांति के जनक | नाॅर्मन बोरलाॅग |
जन्म | 25 मार्च 1914, क्रेस्को, आइवा |
मृत्यु | 12 सितंबर 2009, डलास, टेक्सास |
नागरिकता | संयुक्त राज्य अमेरिका |
राष्ट्रीयता | यूएसए |
शिक्षा | मिनीसोटा विश्वविद्यालय |
उल्लेखनीय सम्मान | नोबल शांति पुरस्कार, स्वतंत्रता का राष्ट्रपति पुरस्कार, कांग्रेसनल गोल्ड मेडल, विज्ञान का राष्ट्रीय पुरस्कार, पद्म विभूषण और रोटरी इंटरनेशनल पुरस्कार |
प्रसिद्धि | हरित क्रांति के जनक के रूप में |
Bharat Me Harit Kranti Ke Janak Kaun Hai?
एम एस स्वामीनाथन को भारत में हरित क्रांति के जनक कहा जाता है. वे भारत के मशहूर कृषि वैज्ञानिक और हरित क्रांति में मुख्य भूमिका अदा करने वाले व्यक्ति हैं.
स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त, 1950 को हुआ था. भारत में कृषि क्षेत्र की हालत बेहतर बनाने में उन्होंने अपना अतुलनीय योगदान दिया है.
उनके अनुसार भारत में कृषि केवल अनाज उत्पादन की मशीन नहीं है, बल्कि वह देश की बड़ी आबादी के लिए रीढ़ की हड्डी है.
साठ के दशक में, उनके प्रयासों की बदौलत ही भारत में कृषि के क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ाने के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल शुरू किया गया.
कृषि बहुत जोखिम भरा काम है, इसलिए कई किसान खेती करना छोड़ना चाहते हैं. उनके द्वारा कई कारण बताएं गए हैं जैसे कि अनिश्चित मौसम, अनिश्चित बाज़ार और कर्ज़ का दबाव, ख़र्चे बढ़ना लेकिन किसान की आय नहीं, आदि.
सन 1972 में, एम. एस. स्वामीनाथन को विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा पद्मभूषण से सम्मानित किया गया.
भारत में हरित क्रांति के जनक | एम एस स्वामीनाथन |
पूरा नाम | मनकोम्बु संबासिवन स्वामीनाथन |
जन्म | 7 अगस्त 1925, कुंबकोनाम, तमिलनाडु |
राष्ट्रीयता | भारत |
क्षेत्र | कृषि वैज्ञानिक |
उल्लेखनीय सम्मान | शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार, रेमन मैग्सेसे पुरस्कार और अल्बर्ट आइंस्टीन विश्व विज्ञान पुरस्कार |
प्रसिद्धि | प्रसिद्धि : भारत में हरित क्रांति के जनक के रूप में |
भारत में हरित क्रांति की शुरुआत कहां से हुई?
भारत में हरित क्रांति की शुरुआत पंजाब में 1960 के दशक में शुरू हुई.
भारत में हरित क्रांति कब शुरू हुई थी?
भारत में हरित क्रांति (Green Revolution) की शुरुआत 1965-68 में हुई थी. उस समय काँग्रेस नेता लाल बहादुर शास्त्री के नेतृत्व में इसे शुरू किया गया था.
हरित क्रांति शब्द किसने दिया?
हरित क्रांति शब्द का प्रयोग करने वाले पहले व्यक्ति ‘विलियम एस. गौड’ थे. वे यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) के प्रशासक थे.
हरित क्रांति के पिता किसे कहा जाता है?
नॉर्मन बोरलॉग को विश्व में हरित क्रांति के पिता के रूप में जाना जाता है. वर्ष 1970 में, उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
निष्कर्ष,
तो, दोस्तों इस लेख में आपने जाना हरित क्रांति के जनक कौन है (Father of Green Revolution in Hindi) और भारत में हरित क्रांति के जनक किसे कहा जाता है?
हरित क्रांति, भारत ही नहीं बल्कि कई विकासशील देशों के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी जो राष्ट्रीय अनाज के मामले में सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहायक रही.
विश्व में नाॅर्मन अर्नेस्ट बोरलाॅग को हरित क्रांति के जनक कहा जाता है और भारत में एम एस स्वामीनाथन को जनक के रूप में जानते हैं.
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