माचिस का आविष्कार किसने किया, कब और कैसे?

क्या आप जानते हैं माचिस का आविष्कार किसने किया, कब और कैसे? यदि आप माचिस का उपयोग करते हैं लेकिन इसके खोज के बारे में नहीं जानते तो इस लेख को पूरा जरूर पढ़े.

माचिस घर के सबसे जरूरी और अहम सामानों में से एक है, जिसके मदद से हम खाना बनाने के लिए लकड़ियों तथा गैस में आग लगाते हैं.

पहले आग लगाने के लिए दो पत्थरों को एक साथ रगड़ा पड़ता था लेकिन माचिस के अविष्कार (machis ke aaviskar) के बाद हम बिना किसी मेहनत के आग लगा सकते है.

मनुष्यों के लिए माचिस का आविष्कार होना किसी वरदान से कम नहीं है. इसके मदद से आज कई काम आसानी से हो जाते हैं क्योंकि इसका उपयोग करना बहुत आसान है.

सभी ने माचिस का उपयोग कभी न कभी किया जरूर होगा लेकिन माचिस का आविष्कार किसने किया और कब? इसके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी हैं.

माचिस का आविष्कार किसने किया? (Machis Ka Avishkar)

माचिस का आविष्कार किसने किया

माचिस का आविष्कार अंग्रेजी रसायनज्ञ जॉन वॉकर ने किया था. उन्होंने एंटीमनी सल्फाइड, पोटेशियम क्लोरेट, गोंद और स्टार्च को लकड़ी पर लपेट कर पहला घर्षण मैच यानी माचिस का आविष्कार किया.

उनके द्वारा बनाई गई माचिस को किसी खुदरी जगह पर घर्षण करने से वो जल जाती थी. उन दिनों माचिस लोगों के लिए बहुत खतरनाक हुआ करती थी क्योंकि इससे संबंधित जानकारी बहुत कम थी.

इसके वज़ह से काफी लोग दुर्घटना के शिकार भी हुए थे. समय के अनुसार लोगों को माचिस का सही उपयोग समझ में आ गया और यह कई जगहों पर उपयोग भी होने लगा.

आज के समय में माचिस का उपयोग कितना बढ़ गया है क्योंकि आग जलाने के लिए सबसे आसान और बेहतर तरीका माचिस का उपयोग करना है.

माचिस का आविष्कार जॉन वॉकर (अंग्रेज़ी : John Walker)
जन्म29 मई 1781, स्टॉकटन-ऑन-टीज़, यूनाइटेड किंगडम
मृत्यु1 मई 1859, स्टॉकटन-ऑन-टीज़, यूनाइटेड किंगडम
शिक्षालोकल ग्रामर स्कूल
व्यवसायअंग्रेजी रसायनज्ञ और आविष्कारक
प्रसिद्धिपहला घर्षण मैच (माचिस का आविष्कार)

माचिस का आविष्कार कब हुआ?

माचिस का आविष्कार 31 दिसंबर 1827 में ब्रिटेन के वैज्ञानिक जॉन वॉकर के द्वारा हुआ था.

माचिस का आविष्कार कैसे हुआ?

1826 में, अंग्रेजी रसायनज्ञ जॉन वॉकर ने भाग्यशाली दुर्घटना के माध्यम से पता लगाया कि रसायनों से लदी एक छड़ी घर में उसके चूल्हे पर बिखरने पर आग की लपटों में बदल गई.

इसके परिणाम स्वरूप उन्होंने पहले घर्षण मैच का आविष्कार किया, जिसमें एंटीमनी सल्फाइड, पोटेशियम क्लोरेट, गोंद और स्टार्च को लकड़ी पर लपेटा गया, जिसे किसी भी खुरदरी जगह पर रगड़ने से वह जल उठती थी.

लेकिन, ये काफ़ी घातक आविष्कार साबित हुआ. इससे कई लोगों को चोट तक पहुंची. इस माचिस को जलाने के लिए रगड़ना पड़ता था जो छोटा सा विस्फोट पैदा करती थी और साथ ही इससे बहुत बदबू आती थी.

कई सालों के रिसर्च और प्रयोगों के बाद, वैज्ञानिकों ने इस समस्या का हल निकाल लिया और कुछ इस तरह एक सफलतापूर्वक माचिस का आविष्कार हुई.

माचिस का आविष्कार और इसका इतिहास

माचिस का इतिहास बहुत पुराना है. माचिस का आविष्कार होने के बाद से, मानव जाति ने आग को नियंत्रित करना सीख गया, जैसा पहले कभी नहीं हुआ.

1669 में, हेनिग ब्रांट पहले रसायनज्ञ थे जिन्होंने फॉस्फोरस के गुणों की खोज की थी. इस पदार्थ की खोज और इसके गुणों को रिकॉर्ड करके, उन्होंने भविष्य के वैज्ञानिकों को अपनी परियोजनाओं और परीक्षणों में इसे लागू करने में सक्षम बनाया.

1678 में, Johann Kunckel ने अपने प्रयासों से सफलतापूर्वक मूत्र से फास्फोरस बनाया.

1680 में, सर रॉबर्ट बॉयल के द्वारा सबसे पहली माचिस बनाने की कोशिश की गई थी. उन्होंने कागज के एक टुकड़े के साथ फॉस्फोरस को लपेटा और लकड़ी के एक अलग टुकड़े के साथ सल्फर को लपेटा. जब लकड़ी को कागज के माध्यम से खींचा जाता था, तो वह आग में फट जाती थी. उस समय फॉस्फोरस प्राप्त करना कठिन था, इसलिए आविष्कार सफल नहीं हो पाई थी.

1826 तथा 1827 में, ब्रिटेन के वैज्ञानिक जॉन वॉकर ने गंभीर रूप से एंटीमनी सल्फाइड, पोटेशियम क्लोरेट, गोंद और स्टार्च से बने एक घर्षण मैच की खोज की, जिसके परिणामस्वरूप एक रासायनिक मिश्रण को हिलाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली छड़ी के अंत में एक सूखे बूँद का परिणाम होता है. उन्होंने अपनी खोज का पेटेंट नहीं कराया, हालांकि उन्होंने इसे लोगों को दिखाया जरूर था.

सैमुअल जोन्स ने प्रदर्शन देखा और इसका पेटेंट कराया, जिसका नाम “लूसिफ़र मैच ” था. लूसिफ़र मैच एक ऐसी बनाई गई माचिस थी जो कथित तौर पर विस्फोटक रूप से प्रज्वलित कर सकते थे, कभी-कभी काफी दूरी पर चिंगारी फेंकते थे. यह माचिस भी पूरी तरह से ठीक नहीं थी क्योंकि इससे तेज गंध आती थी लेकिन अच्छी बात यह थी कि माचिस का आविष्कार हो चुकी थी.

1830 में, चार्ल्स सौरिया ने सफेद फास्फोरस का उपयोग करके मैच में सुधार किया, जिससे तेज गंध समाप्त हो गई. फास्फोरस से बनने वाले यह माचिस बहुत घातक था क्योंकि कई बार छोटे बच्चें इसे चूस लेते थे जिससे कंकाल की विकृति विकसित हुई. साथ ही फॉस्फोरस फैक्ट्री के मजदूरों को हड्डियों के रोग हो जाते थे. कहने का मतलब यह है कि माचिस के एक पैकेट में एक व्यक्ति को मारने के लिए पर्याप्त फास्फोरस होता है इसलिए यह बहुत घातक था.

1892 में, जोशुआ पुसी ने माचिस की तीली का आविष्कार किया. डायमंड मैच कंपनी ने बाद में पुसी का पेटेंट खरीदा लिया.

1910 में, सफेद फॉस्फोरस माचिस के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के लिए दुनिया भर में प्रदर्शन हुए और उसी दौरान डायमंड मैच कंपनी ने एक गैर-जहरीले मैच (माचिस) के लिए पेटेंट किए जिसमें सेस्क्यूसल्फाइड का इस्तेमाल किया गया था. अमेरिकी राष्ट्रपति टाफ्ट ने अनुरोध किया कि डायमंड मैच उनके पेटेंट को छोड़ दें.

1911 में, डायमंड मैच कंपनी को अपना पेटेंट प्राप्त हो गया. इसी साल कांग्रेस ने सफेद फास्फोरस मैचों पर निषेधात्मक रूप से उच्च कर (high tax) लगाने वाला कानून को पास किया.

आज के समय में, ब्यूटेन लाइटर ने दुनिया के कई हिस्सों में बड़े पैमाने पर मैचों की जगह ले ली है, हालांकि मैच अभी भी बनाए और उपयोग किए जाते हैं.

माचिस को हिंदी और अंग्रेजी में क्या कहते हैं?

माचिस को हिंदी में दीयासलाई और अंग्रेजी में Matchstick कहा जाता है.

माचिस की तीली किस पेड़ से बनती है?

माचिस की तीली कई तरह के पेड़ की लकड़ियों से बनती है. लेकिन सबसे अच्छी माचिस की तीली अफ्रीकन ब्लैकवुड से बनती है. इसके अलावा पाप्लर नाम के पेड़ की लकड़ी से भी माचिस की तीली बनती है.

माचिस की डिबिया पर क्या लगाया जाता है?

माचिस की डिबिया पर लाल फास्फोरस लगा होता है.

लाइटर का आविष्कार किसने और कब किया ?

लाइटर का आविष्कार जोहान वोल्फगैंग डोबेरिनर के द्वारा साल 1823 में किया गया था.

निष्कर्ष,

तो दोस्तों, इस लेख में आपकों माचिस का अविष्कार और इसके इतिहास के बारे में बताया गया है. साथ ही माचिस का आविष्कार किसने किया और उनसे संबंधित बातों के बारे में भी जानकारी दी गई है.

हम उम्मीद करते हैं आपकों माचिस की खोज से संबंधित सभी बातें समझ में आ गई होगी. यदि इस लेख को पढ़ कर आपको अच्छा लगा है तो कृपया इसे अन्य लोगों के साथ भी शेयर जरूर करे.

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