प्रोटॉन (Proton) एक प्रकार का धनात्मक वैद्युत आवेश एंव उपपरमाणविक कण होता है, जो परमाणु के नाभिक में न्यूट्रॉन के साथ पाया जाता हैं. कई लोग प्रोटॉन की खोज किसने की, कब और कैसे हुई? (Proton Ki Khoj) के बारे नहीं जानते हैं इसलिए इस लेख में इसके बारे में संपूर्ण जानकारी दी गई है.
प्रोटॉन की सबसे पहले H+ के रूप में यूजीन गोल्डस्टीन के द्वारा सन 1886 में देखा गया था. बाद में इसे अर्नेस्ट रदरफोर्ड (1917-1920) द्वारा किसी अन्य परमाणु के नाभिक में एक धनात्मक कण के रूप में पहचाना गया और इसे एक “प्रोटॉन” का नाम दिया गया.
यदि आप प्रोटॉन की खोज किसने और कब की? Proton ki khoj kisne ki के बारे में अब भी समझ नहीं पाए हैं तो इस आर्टिकल को पूरा अंत तक जरूर पढ़िए.
यहां आपकों प्रोटॉन क्या होते हैं, प्रोटॉन के खोजकर्ता कौन है, इसकी खोज किसके द्वारा कब और कैसे की गई थी? आदि से संबंधित संपूर्ण जानकारी प्राप्त होने वाली है इसलिए इस लेख को एक बार पूरा जरूर पढ़े.
प्रोटॉन क्या है इन हिंदी? (Definition of Proton in Hindi)
प्रोटॉन (Proton) परमाणु के नाभिक न्यूट्रॉन के साथ पाया जाता हैं , जिसपर धनात्मक वैद्युत आवेश (Positively Charged) होते हैं.
परमाणु के नाभिक (Nucleus) के अंतर प्रोटॉन (Proton) और न्यूट्रॉन (Neutron) पाए जाते हैं और इलेक्ट्रॉन इसके चारों तरफ चक्कर लगाते है. प्रोटॉन को p या p+ से चिह्नित किया जाता है, जो पॉज़िटिव चार्ज पार्टिकल (Proton) को दर्शाता है.
प्रोटॉन का द्रव्यमान 1.67×10^-27 kg होता है जो इलेक्ट्रॉन के द्रव्यमान का 1847 गुना है. साथ ही इसपर 1.6021176634×10-19 कुलम्ब (Coulomb) होता है.
भौतिकी के आधुनिक मानक मॉडल में, यद्यपि प्रोटॉन को मूल रूप से मौलिक या प्राथमिक कण (elementary particle) माना जाता था लेकिन यह अन्य छोटे छोटे अस्थाई सूक्ष्म कणों से मिलकर बना रहता है जिन्हे क्वॉर्क (quarks) कहते हैं. इसे हैड्रॉन (hadrons) के रूप में वर्गीकृत किया जाता है जैसे कि न्यूट्रॉन को न्यूक्लियॉन (nucleon) के रूप में किया जाता है.
प्रोटॉन की खोज किसने की ( Proton Ki Khoj Kisne Ki)
यूजीन गोल्डस्टीन के द्वारा सन् 1886 में एनोड किरण प्रयोग में प्रोटॉन को H+ के रूप सबसे पहले देखा गया था. 1917-1920 में, एर्नेस्ट रदरफोर्ड (Ernest Rutherford) ने अपने गोल्ड फ़ॉइल प्रयोग में परमाणु के नाभिक में मौजूद धनात्मक कण प्रोटॉन (Proton) की खोज की और इसे हाइड्रोजन न्यूक्लियस से बदलकर प्रोटॉन नाम रख दिया इसलिए उन्हें प्रोटॉन के खोजकर्ता माना जाता है.
उस समय एर्नेस्ट रदरफोर्ड रेडियो सक्रीय के सन्दर्भ में कई प्रयोग कर रहे थे. कई असफल और सफल प्रयोगों के बाद उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि परमाणु के नाभिक में एक धनात्मक केन्द्र पाया जाता है, जिसे न्यूक्लियस (nucleus) बोला गया.
परमाणु के इस नाभिक केन्द्र में धनात्मक कण पाए जाते हैं जिसका भार अधिकतम होता है और इन धनात्मक कणों को ही रदरफोर्ड ने “प्रोटोन” नाम दिया, जिसके लिए उनको प्रोटॉन की खोजकर्ता कहा जाता है.
उन्होंने ही बताया की हर परमाणु के नाभिक में भिन्न भिन्न संख्या में प्रोटॉन पाए जाते है , हाइड्रोजन(H) के नाभिक में प्रोटॉन की संख्या एक पायी जाती है इसलिए हाइड्रोजन को प्राथमिक कण (elementary particle) कहा जाता है.
पिछले अपने कुछ प्रयोग में, रदरफोर्ड ने खोज की थी कि हाइड्रोजन नाभिक ( जो सबसे हल्का नाभिक के रूप में जाना जाता है) परमाणु टक्करों द्वारा नाइट्रोजन के नाभिक से निकाला जा सकता है.
प्रोटॉन (Proton) एक ग्रीक भाषा का शब्द है जिसका मतलब होता है “first” यानी “पहला”.
प्रोटॉन की खोज कब हुई?
प्रोटॉन की खोज सन् 1920 में हुई थी, जिसे अर्नेस्ट रदरफोर्ड के द्वारा अपने गोल्ड फ़ॉइल प्रयोग के दौरान खोजा गया था.
प्रोटॉन की खोज कैसे हुई?
इस लेख में अभी तक आप जान चुके हैं प्रोटॉन क्या है, प्रोटॉन की खोज किसने की (Proton Ki Khoj Kisne Ki), प्रोटॉन की खोज कब हुई थी, चलिए अब जानते हैं प्रोटॉन की खोज कैसे हुई थी और इससे संबंधित प्रयोग जो उस समय किए गए थे.
प्रोटॉन की खोज के लिए प्रयोग (Gold Foil experiment in Hindi)
गोल्ड फ़ॉइल प्रयोग में, एर्नेस्ट रदरफोर्ड ने एक अल्ट्राथिन गोल्ड फ़ॉइल पर अल्फा कणों की बमबारी की, जिससे पता लगा कि अल्फा कणों ज़िंक सल्फाइड (ZnS) स्क्रीन पर गिरने पर बिखर (scattered) रही थी.
अवलोकन (Observation) :
- अधिकांश अल्फा पार्टिकल deflect नहीं हुए, वे पन्नी (foil) से पास हो गए.
- कुछ अल्फा पार्टिकल छोटे angle पर deflect हुए.
- बहुत कम ऐसे पार्टिकल थे फ़िर से वापस आए यानी 20,000 में 1 ही वापस आया.
इन अवलोकन (Observation) को देखते हुए , रदरफोर्ड ने निम्नलिखित कुछ बातें दुनिया को बतलाई :
- परमाणु का अधिकांश द्रव्यमान और उसका संपूर्ण धनात्मक आवेश एक छोटे से कोर में सीमित होता है, जिसे नाभिक (nucleus) कहा जाता है. इस नाभिक में धनावेशित कण होता है जिसे प्रोटॉन कहते हैं.
- परमाणु का अधिकांश आयतन खाली स्पेस होता है.
- नाभिक के बाहर बिखरे हुए ऋणावेशित इलेक्ट्रॉनों की संख्या नाभिक में धनात्मक आवेशों (Proton) की संख्या के समान होती है. यह एक परमाणु की समग्र विद्युत तटस्थता (neutrality) की व्याख्या करता है.
रदरफोर्ड द्वारा किए गए इस गोल्ड फ़ॉइल प्रयोग (Gold Foil experiment) ने एक परमाणु की संरचना में महान अंतर्दृष्टि प्रदान की, और नए वैज्ञानिकों के लिए सीखने का एक दायरा प्रदान किया.
इसी प्रयोग को देखते हुए रसायन शास्त्र में कई और नए प्रयोग किए गए हैं और नई चीजों के बारे में पता लगाया गया, जो बाद में विज्ञान की दृष्टि ही बदल दी.
प्रोटॉन की खोज का इतिहास
1815 की शुरुआत में, विलियम प्राउट (William Prout) ने प्रस्तावित किया कि सभी परमाणु हाइड्रोजन परमाणुओं से बने होते हैं जिसे उन्होंने “प्रोटाइल्स” (protyles) कहा था.
1886 में, यूजेन गोल्डस्टीन (Eugen Goldstein) ने कैनाल किरणों (जिसे एनोड किरणों के रूप में भी जाना जाता है) की खोज की और दिखाया कि वे गैसों से उत्पन्न धनात्मक आवेशित कण (ions) थे.
1898 में विल्हेम विएन और 1910 में जे.जे. थॉमसन ने हाइड्रोजन परमाणु के द्रव्यमान के बराबर एक धनात्मक कण की पहचान की.
1911 में, अर्नेस्ट रदरफोर्ड द्वारा परमाणु नाभिक (nucleus) की खोज के बाद, एंटोनियस वैन डेन ब्रोक ने प्रस्तावित किया कि आवर्त सारणी (इसकी परमाणु संख्या) में प्रत्येक तत्व का स्थान उसके परमाणु आवेश के बराबर है. जिसे बाद में, एक्स-रे स्पेक्ट्रा (X-ray spectra) का उपयोग करके 1913 में हेनरी मोसले द्वारा प्रयोगात्मक रूप से इसकी पुष्टि की गई थी.
1917 एंव 1919 और 1925 में रिपोर्ट किए गए प्रयोगों में, रदरफोर्ड ने साबित किया कि हाइड्रोजन नाभिक अन्य नाभिकों में मौजूद है, जिसके परिणाम को आमतौर पर प्रोटॉन की खोज के रूप में वर्णित किया जाता है.
वैज्ञानिक साहित्य में “प्रोटॉन” शब्द का पहला प्रयोग 1920 में हुआ.
प्रोटॉन (Proton) के रोचक तथ्य
- प्रोटॉन, परमाणु के नाभिक में धनावेशित कण होते हैं.
- प्रकृति में या प्रयोगशाला में बने प्रत्येक तत्व में कम से कम एक प्रोटॉन होता है.
- एक प्रोटॉन का द्रव्यमान न्यूट्रॉन के समान होता है लेकिन इलेक्ट्रॉन के द्रव्यमान से 1840x अधिक होता है.
- ब्रह्मांड में विभिन्न प्रकार के परमाणु होते हैं जो इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन की संख्या पर आधारित होते हैं.
प्रोटॉन की असली खोजकर्ता कौन है? : रूटहरफोर्ड या गोल्डस्टीन
यूजीन गोल्डस्टीन के द्वारा सन 1886 में प्रोटॉन को H+ के रूप में सबसे पहले देखा गया था. लेकिन प्रोटॉन की खोज अर्नेस्ट रदरफोर्ड (1917-1920) द्वारा अपने गोल्ड फ़ॉइल प्रयोग के द्वारा किया गया था.
पाजीट्रोन (Positron) या पोजीटिव इलेक्ट्रोन की खोज किसने और कब की?
पाजीट्रोन (e+) या पोजीटिव इलेक्ट्रोन की खोज कार्ल डेविड ऐंडरसन (Carl David Anderson) ने सन् 1932 में की थी.
प्रोटॉन धनात्मक है या ऋणात्मक?
एक प्रोटॉन के पास धनात्मक चार्ज (+) होता है इसलिए इसे पॉज़िटिव चार्ज पार्टिकल कहा जाता है.
प्रोटॉन कहाँ स्थित होता है?
प्रोटॉन परमाणु के नाभिक में neutron के साथ धनात्मक वैद्युत आवेश में स्थित होता है.
प्रोटॉन इतने महत्वपूर्ण क्यों हैं?
प्रोटॉन इतने महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि परमाणु के नाभिक के अंदर प्रोटॉन नाभिक को एक साथ बांधने में मदद करते हैं. यह धनात्मक कण होने के कारण निगेटिव इलेक्ट्रॉनो को अपने तरफ़ आकर्षित करते हैं, और उन्हें नाभिक के चारों ओर कक्षा में रखते हैं.
निष्कर्ष,
प्रोटॉन (Proton) की खोज अर्नेस्ट रदरफोर्ड (Ernest Rutherford) द्वारा सन् 1920 में अपने गोल्ड फ़ॉइल प्रयोग के दौरान खोजा गया था.
इस आर्टिकल में प्रोटॉन की खोज किसने की, प्रोटॉन क्या होते हैं, इसकी खोज कब और कैसे हुई, प्रोटॉन की खोज का इतिहास, प्रोटॉन के रोचक तथ्य आदि चीजों के बारे में संपूर्ण जानकारी दी गई है.
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