आज हम भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक के तौर पर जाने वाले डॉ विक्रम अंबालाल साराभाई का जीवन परिचय (जीवनी) को देखने वाले है.
पिछले कई दशकों से भारत अन्तरिक्ष अनुसन्धान के क्षेत्र में पूरे दुनिया में अपना विशेष स्थान एवं उपलब्धियां हासिल की है जो दुनिया में किसी देश ने हासिल नहीं की है.
आज भारत अपनी इसरो (ISRO) अंतरिक्ष संस्थान के द्वारा विश्व में विभिन्न अन्तरिक्ष कार्यक्रमों के बल पर शिक्षा, सूचना एवं संचार के क्षेत्र में विशेष प्रगति कर रहा है.
देश को आज अंतरिक्ष में परचम लहराने के पीछे का मुख्य श्रेय डॉ. विक्रम साराभाई को जाता है. वे देश के अति महत्वपूर्ण वैज्ञानिकों एवं व्यक्तियों में से एक थे.
चलिए अब डॉ विक्रम साराभाई का जीवन परिचय (Vikram Sarabhai Ka Jeevan Parichay) को विस्तार रूप से देखते हैं और उनकी प्रेरक कहानी के बारे में जान कर कुछ नई चीजें सीखते हैं.
विक्रम की जीवनी (Vikram Sarabhai Biography in Hindi)
जीवनी | विक्रम साराभाई |
पूरा नाम | विक्रम अंबालाल साराभाई |
जन्म की तारीख़ | 12 अगस्त 1919 |
जन्म का स्थान | अहमदाबाद, भारत |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
पिता का नाम | अंबालाल साराभाई |
माता का नाम | सरला साराभाई |
पेशा | वैज्ञानिक, उद्योगपति, प्रवर्तक तथा दिव्यदर्शनद्रष्टा |
कार्य क्षेत्र | भौतिकी |
मृत्यु की तारीख़ | 30 दिसंबर, 1971 |
मृत्यु का स्थान | थिरुवानंथापुरम, केरल, भारत |
उनकी उम्र | 52 साल |
मृत्यु का कारण | दिल का दौरा |
धर्म | जैनिज़्म |
जाति | जैन |
शिक्षा | गुजरात कॉलेज, St. John’s College, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय |
उल्लेखनीय सम्मान | पद्म भूषण (1966), पद्म विभूषण (1972) |
प्रसिद्ध | भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का पितामह |
विक्रम साराभाई कौन थे?
विक्रम साराभाई भारत के महान वैज्ञानिक, उद्योगपति और नवप्रवर्तनक थे. उन्हें अंतरिक्ष कार्यक्रमों के जनक के तौर पर जाना जाता है, जिनके प्रयासों से ही इसरो (ISRO) की स्थापना हुई थी और वे उसके पहले चेयरमैन भी थे.
विक्रम साराभाई का जीवन परिचय (Vikram Sarabhai Ki Jivani)
विक्रम साराभाई का जन्म कब और कहां हुआ?
विक्रम साराभाई का जन्म 12 अगस्त, 1919 को गुजरात के अहमदाबाद शहर में एक धनी उद्योगपति के घर हुआ था.
विक्रम साराभाई का परिवार व परिवारिक जीवन (Vikram Sarabhai Family)
विक्रम साराभाई के पिता का नाम अंबालाल साराभाई है, जो कई उद्योगों के मालिक थे और माता का नाम सरलादेवी साराभाई है, जिन्होंने मांटेसरी पद्धति की प्रक्रिया का पालन करते हुए निजी स्कूल बनाया.
उन्होंने सन 1942 में मृणाली साराभाई के साथ शादी किया और उनके दो बच्चे हुए, जिनका नाम है : कार्तिकेय साराभाई, मल्लिका साराभाई.
उनके भाईयों के नाम सुहृद साराभाई एवं गौतम साराभाई है और बहनों के नाम लीना, गीता, मृदुला, भारती, गिरा साराभाई है.
विक्रम साराभाई अपने आठ भाई बहनों में से एकलौता ऐसे व्यक्ति हुए जिन्होंने देश की विकास और भारत की अंतरिक्ष में सफलता के लिए अपनी पूरी जीवन देश के लिए सम्पत्ति कर दी थी.
विक्रम साराभाई का परिवार | के बारे में |
पिता का नाम | अंबालाल साराभाई |
माता का नाम | सरलादेवी साराभाई |
भाई के नाम | सुहृद साराभाई एवं गौतम साराभाई |
बहनों के नाम | भारती, मृदुला, भारती, लीना, गीता एवं गिरा साराभाई |
पत्नी का नाम | मृणालिनी विक्रम साराभाई |
बेटी का नाम | मल्लिका साराभाई |
बेटे का नाम | कार्तिकेय साराभाई |
विक्रम साराभाई का व्यक्तिगत जीवन (Vikram Sarabhai Personal Life)
भारत के चेन्नई शहर में, साल 1942 में, विक्रम साराभाई ने एक शास्त्रीय नृत्यांगना मृणालिनी के साथ विवाह किया और उसके साथ जीवनसाथी के रूप में अपना पूरा जीवन बिताते की शुरूवात की थी.
शादी के बाद, उन्हें दो बच्चे भी हुए, जिनमें से एक बेटी थी और दूसरा बेटा हुआ था. साराभाई के बच्चों का नाम मालिका (बेटी) और कार्तिकेय (बेटा) था.
हालांकि साराभाई का वैवाहिक जीवन उनके पत्नी मृणालिनी के साथ लंबा नहीं चला. बाद में उन्होंने डॉ कमला चौधरी के साथ प्रेम संबंध बनाए थे.
आरम्भिक जीवन (Vikram Sarabhai Early Life)
- डॉ॰ विक्रम साराभाई का जन्म 12 अगस्त, 1919 को भारत के अहमदाबाद शहर में एक समृद्ध जैन परिवार में हुआ.
- साराभाई के व्यक्तित्व के विकास में उनका घर “द रिट्रीट” एक अहम भूमिका निभाई, जहां पर उनके बचपन के समय सभी क्षेत्रों से जुड़े महत्वपूर्ण लोग आया करते थे.
- वैज्ञानिक साराभाई के पिता का नाम श्री अम्बालाल साराभाई और माता का नाम श्रीमती सरला साराभाई था.
- साराभाई को बचपन से ही विज्ञान के प्रति रुचि थी, जिससे उन्होंने इस क्षेत्र में डाक्ट्ररेट की उपाधि प्राप्त किए और आगे चल कर भारत के प्रमुख भौतिकी विज्ञानी हुए और साथ ही भारत में इसरो (ISRO) की शुरूवात में अपना सहयोग दिया.
शिक्षा (Vikram Sarabhai Education)
- विक्रम साराभाई की प्रारम्भिक शिक्षा उनकी माता सरला साराभाई द्वारा मैडम मारिया मोन्टेसरी की तरह शुरू किए गए पारिवारिक स्कूल में हुई.
- उसके बाद उन्होंने इंटरमीडिएट तक विज्ञान की शिक्षा गुजरात कॉलेज के पूरी किया.
- सन 1937 में , साराभाई कैम्ब्रिज (इंग्लैंड) चले गए,जहां उन्होंने साल 1940 में प्राकृतिक विज्ञान में ट्राइपोज डिग्री प्राप्त की.
करियर (Vikram Sarabhai Career)
- द्वितीय विश्वयुद्ध शुरू होने पर वे इंडिया वापस लौट आए और भारतीय विज्ञान संस्थान (बंगलौर) में नौकरी करने लगे.
- अपनी नौकरी के अन्तर उन्होंने वैज्ञानिक चन्द्रशेखर वेंकटरमन के निरीक्षण में ब्रह्माण्ड किरणों पर अनुसन्धान करने लगे.
- विक्रम साराभाई कॉस्मिक किरणों पर शोध करना चाहते थे, जो उन्होंने प्रख्यात सी.वी.रमन की सलाह पर शुरू किया था और अपना पहला वैज्ञानिक पत्र ‘ डिस्ट्रीब्यूशन ऑफ कास्मिक रेज़’ साल 1942 में प्रकाशित किया.
- जैसे ही द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्त हुई, उन्होंने कॉस्मिक रे भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में अपनी डाक्ट्रेट पूरी करने के लिए कैम्ब्रिज लौट गए.
- डाक्ट्ररेट की डिग्री हासिल करने के बाद, वे भारत आकर कॉस्मिक रे भौतिक विज्ञान पर अपना अनुसंधान कार्य जारी रखा. उन्होंने भारत में, भूमंडलीय अंतरिक्ष, सौर-भूमध्यरेखीय संबंध और भू-चुम्बकत्व पर अध्ययन किया और देश के प्रगति के लिए बाकी जीवन समर्पित कर दिया.
विक्रम साराभाई की खोज, प्रयोग और प्रमुख उपलब्धियां
- विक्रम साराभाई ने 1962 में भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (INCOSPAR) की स्थापना की, जिसे बाद में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का नाम दिया गया.
- विक्रम साराभाई को दक्षिण भारत में थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन की स्थापना के लिए प्रमुख रूप से श्रेय दिया जाता है.
- 1966 में, डॉ साराभाई ने भौतिक विज्ञानी होमी भाभा की मृत्यु के बाद भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला और देश के लिए कई अहम योगदान दिए.
- साराभाई देश के रक्षा के लिए स्वदेशी परमाणु तकनीक विकसित करने की नींव को रखा और उसके पीछे से महत्वपूर्ण चेहरा थे.
- विक्रम साराभाई ने भारत के पहले उपग्रह, आर्यभट्ट को लॉन्च करने के लिए अपने जैसे कई वैज्ञानिकों के साथ बहुत काम किया था.
डॉ. साराभाई द्वारा स्थापित संस्थान
डॉ॰ साराभाई ने विभिन्न क्षेत्रों में बड़ी संख्या में संस्थान स्थापित करने के लिए अपना महत्तवपूर्ण सहयोग दिया. यही कारण है कि आज के समय में भारत में कई बड़ी संस्थान मौजूद है.
डॉ॰ साराभाई द्वारा स्थापित भारत में कुछ सर्वाधिक जानी-मानी संस्थाओं के नाम इस प्रकार हैं :
- भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL), अहमदाबाद
- भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM), अहमदाबाद
- कम्यूनिटी साइंस सेंटर, अहमदाबाद
- विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, तिरुवनंतपुरम
- यूरेनियम कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (UCIL), जादूगुडा, बिहार
- फ़ास्टर ब्रीडर टेस्ट रिएक्टर (FBTR), कल्पकम
- स्पेस अप्लीकेशन्स सेंटर, अहमदाबाद
- प्रदर्शन कला के लिए दर्पण अकादमी, अहमदाबाद
साराभाई को पुरस्कार और सम्मान प्रदान किए गए (Vikram Sarabhai Awards and Honors)
पुरस्कार
- शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार (1962)
- पद्म भूषण (1966)
- पद्म विभूषण, मरणोपरांत (मृत्यु के बाद) (1972)
विशिष्ट पद
- भौतिकी अनुभाग के अध्यक्ष, भारतीय विज्ञान कांग्रेस ISCA (1962)
- I.A.E.A. के सामान्य सम्मेलन के अध्यक्ष, वेरीना (1970)
- उप-राष्ट्रपति के तौर पर, चौथा संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन ‘परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग’ पर (1971)
सम्मान
- विक्रम साराभाई के सम्मान में तिरुवनंतपुरम (केरल) में स्थित विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) का नाम उनकी स्मृति में रखा गया है.
- 1974 में, सिडनी में इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन ने फैसला किया कि सी ऑफ सेरेनिटी में एक मून क्रेटर बेसेल को डॉ साराभाई क्रेटर के रूप में जाना जाएगा.
डॉ॰ विक्रम साराभाई की विरासत (Vikram Sarabhai Legacy)
विक्रम साराभाई की विरासत की बात की जाए तो वो आज भी बहुत मजबूत है और भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम और परमाणु कार्यक्रम में जारी है.
भारत की ये दोनों कार्यक्रम स्वदेशी विकास पर ध्यान केंद्रित करते हैं जैसा कि उन्होंने कल्पना की थी.
- डॉ॰ विक्रम साराभाई को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक के रूप में याद किया जाता है.
- उन्हें भारत के दो सर्वोच्च सम्मानों, पद्म भूषण (1966 में) और पद्म विभूषण (1972 में मरणोपरांत के बाद) से सम्मानित किया गया.
- भारत के चंद्रयान -2 के लैंडर, जिसे 22 जुलाई 2019 को चंद्रमा पर खोज करने के लिए बनाया गया था उसका नामकरण विक्रम रखा गया, जो उनके नाम पर रखा गया था.
- इसी तरह विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (VSSC), तिरुवनंतपुरम में रॉकेट विकास के लिए बनाई गई यह सेंटर इसरो के लिए प्रमुख सुविधाएं उपलब्ध कराता है, उन्हीं के सम्मान में रखा गया है.
- भारत में प्रत्येक वर्ष 12 अगस्त को ‘अंतरिक्ष विज्ञान दिवस’ मनाया जाता है, जो डॉ॰ विक्रम साराभाई के जन्मदिन की तारीख़ पर मनाई जाती है.
विक्रम साराभाई की मृत्यु कब और कैसे हुई?
विक्रम साराभाई की मृत्यु मात्र 52 साल की उम्र में 30 दिसंबर, 1971 को अचानक हार्ट अटैक आने की वजह से हो गई थी.
विक्रम साराभाई से संबंधित तथ्य (Facts about Dr Vikram Sarabhai in Hindi)
- साराभाई को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के संस्थापक के तौर पर जान जाता हैं.
- उन्होंने भारत में कई उल्लेखनीय संस्थानों की स्थापना की जैसे कि नेहरू फाउंडेशन फॉर डेवलपमेंट, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, अहमदाबाद, अहमदाबाद टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज़ रिसर्च एसोसिएशन (ATIRA) और सीईपीटी , आदि.
- साराभाई ने भारतीय उपग्रह के निर्माण और प्रक्षेपण के लिए एक परियोजना शुरू की और अपने प्रयासों के कारण ही पहला भारतीय उपग्रह, आर्यभट्ट, 1975 में एक रूसी कॉस्मोड्रोम से कक्षा में स्थापित किया गया था.
- 1966 से 1971 तक, उन्होंने भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया.
- साराभाई को बचपन से विज्ञान में रुचि थी और वह चाहते थे कि भारत में बच्चों को विज्ञान के प्रति रुचि पैदा किया जाए, जिसके लिए उन्होंने सामुदायिक विज्ञान केंद्रों की अवधारणा की.
क्या विक्रम साराभाई अभी भी जीवित हैं?
नहीं, विक्रम साराभाई अभी जिवित नहीं है क्योंकि उनकी मृत्यु 52 साल की उम्र में 30 दिसंबर, 1971 को अचानक हार्ट अटैक आने की वजह से हो गई थी.
विक्रम साराभाई को किस नाम से जाना जाता है?
विक्रम अंबालाल साराभाई को ‘भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक’ के रूप में जाना जाता है.
भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक किसे कहा जाता है?
डॉ विक्रम साराभाई को भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक के तौर पर जाना जाता है, जिनका जन्म 12 अगस्त 1919 को अहमदाबाद शरह, भारत में हुआ था.
इसरो के संस्थापक कौन हैं?
इसरो (ISRO) के संस्थापक डॉ विक्रम साराभाई को कहा जाता है, जो भारत के एक महान भौतिकी वैज्ञानिक थे.
डॉ विक्रम साराभाई का मार्गदर्शन किसने किया था?
द्वितीय विश्व युद्ध शुरू होने पर साराभाई भारत लौट आए और बैंगलोर में भारतीय विज्ञान संस्थान में कार्य करने लगे, जहां उन्होंने नोबेल पुरस्कार विजेता सर सी.वी. रमन के मार्गदर्शन में ब्रह्मांडीय किरणों में शोध शुरू किया.
निष्कर्ष,
जैसे कि आपने इस लेख में विक्रम साराभाई का जीवन परिचय यानी विक्रम साराभाई की जीवनी (Vikram Sarabhai Biography in Hindi) को देखा और समझा.
हम उम्मीद करते हैं आपको विक्रम साराभाई की जीवनी (Vikram Sarabhai Ki Jivani) पढ़ कर आपको अच्छा लगा होगा और कुछ नई चीज़े सीखने और जानने को मिली होगी.
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